अवचेतन मन और चेतन मन की कार्यविधि में अंतर |

नमस्कार दोस्तों , पिछले भाग में हमने एक गायक का उदाहरण देखा था कि किस तरह वह अपने अवचेतन मन को आदेश देता है। इस भाग में हम अवचेतन मन और चेतन मन की कार्यविधि में अंतर देखेंगे |

भाग – 12

चेतन मन समुद्री जहाज़ का कप्तान है। वह जहाज़ को दिशा देता है। वह इंजन रूम लोगों को आदेश देता है , तभी वे बाइलर , यंत्रों और बाकी उपकरणों को नियंत्रित करते हैं। उन्हें यह पता नहीं होता है कि वे कहाँ जा रहे हैं। वे तो सिर्फ कप्तान के आदेश का पालन करते हैं। अगर कप्तान कम्पास और बाक़ी यंत्रों के आधार पर ग़लत या दोषपूर्ण निर्देश जारी कर दे ,तो जहाज़ चट्टानों से टकरा सकता है। इंजन रूम के लोग कप्तान के आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं , क्योंकि वही बॉस है। चूँकि उसे यह पता होना चाहिए की वह क्या कर रहा है , इसलिए इंजन रूम के लोग कप्तान से बहस नहीं करते हैं या पलटकर कुछ नहीं कहते हैं। वे तो बस चुपचाप उसके आदेशों का पालन करते हैं।

कप्तान अपने जहाज़ का मालिक होता है और बाक़ी लोग उसके आदेशों का पालन करते हैं। इसी तरह आपका चेतन मन आपके जहाज़ का कप्तान और मालिक होता है – आपके शरीर , आपके परिवेश और आपसे जुड़े सभी मामलों का। चेतन मन अपने विश्वास तथा अनुमानों के आधार पर आदेश देता है और आपका अवचेतन मन चुपचाप उन आदेशों को मान लेता है। यह आदेशों पर सवाल नहीं करता है या यह नहीं पूछता है कि वे किस आधार पर दिए जा रहे हैं।

अगर आप खुद से बार – बार कहें , “मेरे पास इस चीज़ को खरीदने के लिए पैसे नहीं है ,” तो आपका अवचेतन मन आपकी बात मान लेता है। वह यह सुनिश्चित कर देता है कि आपके पास अपनी मनचाही चीज़ खरीदने के लिए कभी पैसे न रहें। जब तक आप यह कहते रहेंगे ,”मेरे पास उस कार ,छुट्टियों ,उस घर के लिए पैसे नही है ,”तब तक आपका अवचेतन मन आपके आदेशो का पालन करता रहेगा। आप जीवन में इन चीजों को कभी नहीं खरीद पाएगे ‘आप सोचेंगे कि ऐसा परिस्थितियों के कारण हुआ है।

आपको यह लगेगा ही नही कि आपने अपने नकारात्मक विचारों से ये परिस्थितियाँ खुद निर्मित की है।

पिछले क्रिसमस ईव पर नीना डब्ल्यू नाम की एक युवती ,जो दक्षिणी कैलिफोर्नियां यूनिवर्सिटी की छात्रा है ,बीवली हिल्स के एक बेहतरीन शॉपिंग इलाके से गुजर रही थी। उसके मन में उमंग थी। वह बफ़ैलो , न्यूयॉर्क में अपने परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाने जाने वाली थी।

जब नीना एक दुकान के पास से गुजरी ,तो उसकी निगाह डिस्प्ले विंडो में रखे एक सुन्दर स्पेनिश लेदर बैग पर पड़ी। उसने उसे हसरत से देखा। फिर कीमत देखते ही उसके मुँह से आह निकल गई।

वह खुद से कहने वाली थी ,”में इतना महॅगा बैग कभी नहीं खरीद पाऊंगी। ”

तभी उसे मेरे लेक्चर का यह वाक्य याद आया ,”कभी भी किसी नकारात्मक वाक्य को पूरा मत करो। इसे तत्काल उलटकर सकारात्मक कर दो और आपके जीवन में चमत्कार हो जाएँगे।

काँच के पार रखे बैग को घूरते हुए उसने कहा , :यह बैग मेरा है। यह बिक्री के लिए है। मैं मानसिक रूप से स्वीकार करती हूँ कि यह मुझे मिलेगा और मेरा अवचेतन मन यह सुनिश्चित करेगा कि यह मुझे मिल जाए। “

उसी साम को नीना अपने मंगेतर से डिनर पर मिली। वह एक रैपर में लिपटा एक सूंदर तोहफा लाया था। साँस रोककर नीना ने उसे खोला। वहाँ पर वही लेदर बैग था , जिसे उसने उसी दोपहर को देखा था और अपना मान लिया था। उसने अपने मन को उम्मीद से भर लिया था। इस तरह उसने इस मामले को अधिक गहरे मन यानी अवचेतन मन में पहुँचा दिया था , जिसके पास उपलब्धि की शक्ति है।

बाद में नीना ने मुझे बताया, “मेरे पास बैग को ख़रीदने लायक पैसे नहीं थे , लेकिन इसके बावजूद यह मुझे मिल गया। अब में जान चुकी हूँ कि मुझे धन और बाक़ी चाही गई चीज़े कहाँ मिलेगी। वे सब मुझे अपने भीतर के शाश्वत ख़जाने से मिलेगी। ” ………continue……..भाग – 13

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